रविवार, 28 जून 2009

मेघ मेरे


तपती धरती, गगन धधकता,
त्राहि दसों दिशायें है,
मेघ मेरे, तुम कहाँ हों अटके,
आश-नयन पथराये हैं |

नेह-चमन, तुम बिन है सूना,
मन-पुष्प, शिथिल, मुरझाये है,
चिर- कालो से, तुमने ही तो,
प्रेम सुधा बरसाए है |
मेघ मेरे, तू कहाँ ...... |

प्रेयसी बैठी इंतजार में,
प्रीतम अभी न आये है,
तुम, पहुचाते थे, प्रीत-निमंत्रण,
पहुच नहीं, जो पाए है |
मेघ मेरे, तू कहाँ ...... |

तुम बिन, जग का काज अधुरा,
ज्यूँ साज बिना, आवाज अधुरा,
कृषकों के, सूखे कंठ कभी से,
तेरी अरदास लगाये है |
मेघ मेरे, तू कहाँ ...... |

पतित भी तेरी राह निहारें,
ठहरे तुम,उनको जो प्यारे,
जग-उपहासों से दग्ध ह्रदय संघ
कब किसने, अश्रु बहाए है |
मेघ मेरे, तू कहाँ ...... |

अब आ जाओ, तूम छा जाओ,
घनघोर पियूष, बरसा जाओ,
जग के तृष्णारत अधरों की,
अब त्वरित प्यास बुझा जाओ |