शनिवार, 23 जनवरी 2010

तुम हों, तो जग है |


सच कहता हूँ,
गर मानो तुम,
उद्दगार-हिय,
पहचानो तुम,
तेरी नेहामृत का आसक्त,
हुआ रग - रग है,
तुम हों, तो जग है |

यू तो,
फूलो का खिलना,
बहुत पुराना है,
मधु-ऋतू का आना,
भी जाना पहचाना है |
तुम आये,
समय वही,
पर सबकुछ बदल गया,
आज,
मैं देखू जिधर,
दिखे जगमग है |
तुम हों .... |

सुख-दुःख का,
साथ तभी से,
जब से समझ बढ़ी,
जीने के क्रम में,
भेट अगिनत स्वप्न चढ़ीं |
तुम मिले,
स्वप्न आखों में,
फिर है उमड़ गए,
आज,
भरा विश्वास,
बढे हर पग है |
तुम हों ..... |

था सुना,
प्रेम अनमोल,
जगत में होता,
अनभिज्ञ रहा,
था कहीं भाग्य छिप सोता |
सानिध्य तुम्हारा,
सोता भाग्य,
है जगा गया,
अब,
आनंद गगन में,
झूमे ह्रदय विहंग है |
तुम हों ...... |

7 टिप्‍पणियां:

  1. सुख-दुःख का,
    साथ तभी से,
    जब से समझ बढ़ी,
    जीने के क्रम में,
    भेट अगिनत स्वप्न चढ़ीं |
    तुम मिले,
    स्वप्न आखों में,
    फिर है उमड़ गए,
    आज,
    भरे विश्वास,
    बढे हर पग है |
    तुम हों ..... |

    था सुना,
    प्रेम अनमोल,
    जगत में है होता,
    अनभिज्ञ रहा,
    था कहीं भाग्य छिप सोता |
    सानिध्य तुम्हारा,
    सोता भाग्य,
    है जगा गया,
    अब,
    आनंद गगन में,
    झूमे ह्रदय विहंग है |
    तुम हों ...... |

    bahut hi sunder abhivayakti
    har shabad gahra

    जवाब देंहटाएं
  2. tum ho to sabkuch hai, tum nahi to kuch bhi nahi ko sarthak karti rachna..... behtarin rachna.....

    जवाब देंहटाएं
  3. यू तो,
    फूलो का खिलना,
    बहुत पुराना है,
    मधु-ऋतू का आना,
    भी जाना पहचाना है |
    तुम आये,
    समय वही,
    पर सबकुछ बदल गया,
    आज,
    मैं देखू जिधर,
    दिखे जगमग है |
    तुम हों .... |

    prem to ek aisa jaadu hai jo sab badal deta hai....
    behad sunder rachna ke liye apko badhayi...

    जवाब देंहटाएं
  4. bahut hi achchi or gahri kavita hai s kumar ji... bahut achchi rachna hai...

    जवाब देंहटाएं
  5. आपने बहुत सजह सत्य को बहुत सहज तरीके से अभिव्यक्त किया है साहब.

    आपकी अगली इसी तरह की प्रेम-भरी कविता का इंतज़ार रहेगा.

    जवाब देंहटाएं