बुधवार, 19 जनवरी 2011

अशेष



पा दिशा
पवन से,
गंध
पुष्प का
यहाँ - वहाँ
करता
प्रवेश,

मगर
सतोगुण
सज्जन का,
स्वतः
बढे,
चहु ओर
अशेष |