रविवार, 13 जनवरी 2008

दोस्ती - एक अमूल्य ऊपहार |



विश्वास
के कोमल
धागों से
है बनता,
रिश्तो का संसार
ज्ञान नहीं,
धन नहीं,
प्रेम है
जीवन का
आधार |

जो प्रेम,
स्वार्थ की
सीमाओं से
परे,
करे,
वो दोस्त,
खाली जीवन को,
स्वर्णिम
लम्हों से करे,
हरे भरे,
वो दोस्त |

वो दोस्त,
समझ हो
जिसे,
दोस्त के
हर धड़कन की,
वो दोस्त,
समझ हो
जिसे,
इस अटूट
बन्धन की |

यह तन
नश्वर,
जीवन नश्वर,
है नश्वर
यह संसार,
जो मिटे नहीं,
रहे अमर सदा,
वो है,
दोस्ती – एक अमूल्य ऊपहार |

3 टिप्‍पणियां:

  1. दोस्ती पर लिखी एक सुन्दर, सहज और प्रभावी रचना...

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  2. दोस्ती एक अमूल्य उपहार है,बड़े खूबसूरत अंदाज में आपने
    लिखा....दोस्त अन्दर का गहरा राज़ है -निःसंदेह यह अमर है

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  3. जो प्रेम, स्वार्थ की सीमाओं से परे, करे, वो दोस्त
    खाली जीवन को, स्वर्णिम लम्हों से करे, हरे भरे, वो दोस्त


    wahhhhhhhhhhhhhhhhhhhh

    bhut hi badhi bat keh di hai apne

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