नित हो रही आहात,
दुश्मन बड़ा शातिर, लगा जाता नए आघात
मुश्किल बड़ा उनको निपटना, दिखती नहीं वो बात
है चोट दे जाती जो, है अपनों का अंतरघात
अक्सर कोई शत्रु, राष्ट्र के आँगन में घुस आता है,
निश्चय ही कही सीमा प्रहरी, ईमान बेच कर खाता है
आँगन में आकर भी वो भला, क्यु पहचाना नहीं जाता है ?
आपना ही कोई रक्षक बनता, वह शरणागत हो जाता है
फिर धीरे धीरे वह घर के, भेदी की टोह लगाता है,
दुर्भाग्य बड़ा, वह अपनों में, दुश्मन की फौज बनता है
फिर समय देखकर, अपने ही अपनों का लहू बहाते है,
दुश्मन, बैठा दूर सुरक्षित, मुस्काते, ईठलाते है
अब मासूमों की चिता-राख से, जमकर होली चलती है,
अफ़सोस इन्ही घटनाक्रम में, अब राजनीत जो पलती है
दुश्मन कायर, हम सबल, नहीं मंशा पूरी होने देंगे,
मीठा लगता यह गान, चलो एक बार और फिर सुन लेंगे
है समय नहीं निज कायरता, का दोष और पर मढ़ने का
है वक़्त बीच आपनो के बनी खाई को भरने का
गर हुए एक, फिर शत्रु की, घृणित हर मुहीम बिफल होगी,
आतंक मिटेगा जन जन से, उन्नति की चाह सफल होगी
दुश्मन बड़ा शातिर, लगा जाता नए आघात
मुश्किल बड़ा उनको निपटना, दिखती नहीं वो बात
है चोट दे जाती जो, है अपनों का अंतरघात
अक्सर कोई शत्रु, राष्ट्र के आँगन में घुस आता है,
निश्चय ही कही सीमा प्रहरी, ईमान बेच कर खाता है
आँगन में आकर भी वो भला, क्यु पहचाना नहीं जाता है ?
आपना ही कोई रक्षक बनता, वह शरणागत हो जाता है
फिर धीरे धीरे वह घर के, भेदी की टोह लगाता है,
दुर्भाग्य बड़ा, वह अपनों में, दुश्मन की फौज बनता है
फिर समय देखकर, अपने ही अपनों का लहू बहाते है,
दुश्मन, बैठा दूर सुरक्षित, मुस्काते, ईठलाते है
अब मासूमों की चिता-राख से, जमकर होली चलती है,
अफ़सोस इन्ही घटनाक्रम में, अब राजनीत जो पलती है
दुश्मन कायर, हम सबल, नहीं मंशा पूरी होने देंगे,
मीठा लगता यह गान, चलो एक बार और फिर सुन लेंगे
है समय नहीं निज कायरता, का दोष और पर मढ़ने का
है वक़्त बीच आपनो के बनी खाई को भरने का
गर हुए एक, फिर शत्रु की, घृणित हर मुहीम बिफल होगी,
आतंक मिटेगा जन जन से, उन्नति की चाह सफल होगी
very good thinking. narayan narayan
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना है।बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंराष्ट्र की अखंडता नित हो रही आहात,
दुश्मन बड़ा शातिर, लगा जाता नए आघात
मुश्किल बड़ा उनको निपटना, दिखती नहीं वो बात
है चोट दे जाती जो, है अपनों का अंतरघात
main apne desh par garv karta huin..
जवाब देंहटाएंaur uske sath mei aap par garv karta huin...
aur isse jyada kuch nahi khe sakta....
एक दर्पण,दो पहलू और ना जाने कितने नजरिये /एक सिपाही और एक अमर शहीद का दर्पण और एक आवाज
अक्षय,अमर,अमिट है मेरा अस्तित्व वो शहीद मैं हूं
मेरा जीवित कोई अस्तित्व नही पर तेरा जीवन मैं हूं
पर तेरा जीवन मैं हूं
अक्षय-मन
Sundar rachana....
जवाब देंहटाएंBAdhai
समय की प्रमुख मांग को सशक्त बनाया है,
जवाब देंहटाएंएक-एक शब्द देश के प्रति जागरूकता मांग रहे हैं,
बहुत अच्छी कविता कहूँ या देशभक्ति ........पर जबरदस्त
बेहतरीन रचना है . बधाई .
जवाब देंहटाएंअब मासूमों की चिता-राख से, जमकर होली चलती है,
जवाब देंहटाएंअफ़सोस इन्ही घटनाक्रम में, अब राजनीत जो पलती है
दुश्मन कायर, हम सबल, नहीं मंशा पूरी होने देंगे,
मीठा लगता यह गान, चलो एक बार और फिर सुन लेंगे
देशभक्ति की बेहतरीन रचना .... बधाई .!