कुछ सपने
नियति प्रधान,
जग जीवन के,
कुछ हिस्से,
कब पूरे हों पाते है ?
कुछ सपने,
अधूरे रह जाते है |
स्वप्न देखा,
अवधपति ने,
ज्येष्ठ सुत राजा बने,
प्रारब्ध के आगे,
मनुज सुख-स्वप्न,
कब जाते गणे ?
सुत चला वनवास,
वियोग,
क्षण प्राण हर जाते है,
कुछ सपने ..... |
स्वप्न देखा,
नवबधु सिया ने,
गृहस्थी सुखकारी बने,
भावी बनी दीवार,
मिली हर राह,
वह घेरी खड़े,
प्रथम मिला बनवास,
हरण,
कुछ ले गया विश्वास,
प्रिय-कर त्याग,
बचा सब कुछ बहा जाते है,
कुछ सपने ..... |
कुछ सपने,
जवाब देंहटाएंअधूरे रह जाते है
achchhi rachana hai
sundar
kishor
sapne ! haath se kis tarah ret ki tarah fisal jate hain, bahut utkrisht udaahranon se bataya.......bahut hi utkrisht rachna
जवाब देंहटाएंlekin sapne phir bhi apne hote hai....
जवाब देंहटाएंbahut hi acchi rachna .....
सुन्दर रचना कुमार जी, बहुत अच्छी और हृदयस्पर्शी रचना है आपकी!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना कुमार जी, बहुत अच्छी और हृदयस्पर्शी रचना है आपकी!
जवाब देंहटाएंbilkul sach kuch sapne hamesha hi adhure rahte hain aur unki tees zinda rahti hai
जवाब देंहटाएंनियति प्रधान,
जवाब देंहटाएंजग जीवन के,
कुछ हिस्से,
कब पूरे हों पाते है ?
सार गर्भित पंक्तियाँ लिखी आपने
समय बड़ा बलवान