तन्हाई
सागर सी,
ये असीम जमी,
दिखती हर क्षण है,
पराई - पराई,
कहने को अथाह,
है प्रेम यहाँ ,
मिलती न मुझे,
उसकी परछाई |
लहरों सी उमंग,
लिए मुख हैं,
दिल दर्द है,
पैठ लिए गहराई,
चारो तरफ,
कोलाहल है,
यहाँ सिसकिया किसकी,
किसे दे सुनाई |
यू तो है,
भीड़ प्रचुर यहाँ,
मन मीत बिना,
छाई तन्हाई,
या रब,
इस बोझिल जीवन में,
मैं भोग रही,
तेरी निठुराई |
मेरे,
अव्यस्थित जीवन का,
व्यस्थित,
कोई छोर न देता दिखाई,
अब शेष बची,
कुछ यादें है,
हमसाथ मेरी,
बस है तन्हाई |
sab kuch to tha pas mere par...
जवाब देंहटाएंfir bhi ek mein thi ek meri tanhai....
bahut sunadar sabodn ka sangam dard ko bhi khoosurat bana diya...