हम जीवों का,
पंचतत्व का मिश्रण है,
वैसे हीं सुख-दुःख का मिलना,
वैसे हीं सुख-दुःख का मिलना,
हीं मानव का जीवन है |
सुख में खोना,
सुख में खोना,
दुःख में रोना,
ये विवेक का काम नहीं,
असफल होकर थम जाना,
असफल होकर थम जाना,
जीवन का ये तो विराम नहीं |
सोना अग्नि में तपकर हीं,
सोना अग्नि में तपकर हीं,
कुन्दन के रूप को पाता है
काँटों पर चलते-चलते हीं,
काँटों पर चलते-चलते हीं,
एक सुखमय मंजिल आता है |
काँटों की चुभन से,
काँटों की चुभन से,
विचलित हो,
जो अपनी राह बदलते है
वे सदैव मंजिल की
वे सदैव मंजिल की
उलटी ही राहों पर चलते है |
जो असहनीय
जो असहनीय
कष्टों को सहकर,
भी आगे को बढते है
वे आज नहीं तो कल ही सही,
वे आज नहीं तो कल ही सही,
हर दुर्गम चोटी चढ़ते है |
जिसने इस मर्म को
जिसने इस मर्म को
जान लिया,
जीवन रहस्य पहचान लिया,
जिंदादिली ही जीवन है,
जिंदादिली ही जीवन है,
इस गूढ़ सत्य को मान लिया |
जीवन के गूढ़ तथ्यों को काफी सलीके से रखा है,
जवाब देंहटाएंइन्हें संजोना ही जीवन को पाना है.......