नया कुछ कर जाने की आशा.
सुख-दुःख के इस धुप-छाँव में,
सुख-दुःख के इस धुप-छाँव में,
राह दिखाती अभिलाषा |
वो दूर गगन के तारे,
वो दूर गगन के तारे,
लगते है मुझको प्यारे,
जी चाहे हाथ बढाकर,
जी चाहे हाथ बढाकर,
मुट्ठी में भर लू सारे |
वो कल-कल बहती नदियाँ,
वो कल-कल बहती नदियाँ,
निर्मल स्वच्छंद सी धारें,
कुछ दूर बहू मैं उन संग,
कुछ दूर बहू मैं उन संग,
दिल सोचे बैठ किनारे |
वो कलरव करते पंक्षी,
वो कलरव करते पंक्षी,
भरते उन्मुक्त उडाने,
क्यों उड़ूँ न मैं भी उन सम,
क्यों उड़ूँ न मैं भी उन सम,
यह सरहद क्यूँ हम माने |
है चाह अनेकों दिल में,
है चाह अनेकों दिल में,
कितनी दू परिभाषाएं,
हर रोज न जाने कितनी,
हर रोज न जाने कितनी,
बनती मिटती आशाएं |
सकारात्मक सोच है प्रकृति-सी उन्मुक्त उजास लिए..
जवाब देंहटाएंहै चाह अनेको दिल में, कितनी दू परिभाषाये
जवाब देंहटाएंहर रोज न जाने कितनी, बनती मिटती आशाये
bilkul sahi kaha aapne ek asha puri nahi hui dusri jagrit ho gai ab ise pura karne ke liye ek asha aur jivit ho gai.........
है चाह अनेको दिल में, कितनी दू परिभाषाये
जवाब देंहटाएंहर रोज न जाने कितनी, बनती मिटती आशाये ........
पर इस बनने ,मिटने में ही पूरी होती अभिलाषाएं.
बहुत उत्कृष्ट अभिलाषाओं की चाह.......
aapki is rachna ne sach me sabhi k man ko chua hoga...sabhi k man me kahin na kahin aisi hi abhilasha hoti hain.....bahut achchi rachna hai...
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