जीवन की डगर,
तुम आस न सोने देना
बरसेंगे ख़ुशी के मेघ,
बरसेंगे ख़ुशी के मेघ,
ये तुम विश्वास न खोने देना |
जितना पतझड़ है सत्य,
जितना पतझड़ है सत्य,
वसंत की
उतनी ही सच्चाई है,
दो दिवस के
दो दिवस के
मध्य में हीं हरदम,
कोई रात घनी आयी है
कब दिल की अगन,
कब दिल की अगन,
रोके है पवन,
तुम चाह ना बुझने देना,
है ताकत तो
है ताकत तो
झुकता है गगन,
तुम बाह ना झुकने देना |
सतयुग हो या हो कलयुग,
सतयुग हो या हो कलयुग,
है सत्य दिखा परेशां,
सहमा, विचला राहों में,
सहमा, विचला राहों में,
थी सफर न उसकी आसां,
पर जीता है वो हरदम,
पर जीता है वो हरदम,
तुम हार न होने देना,
मंजिल है तुम्हारी निश्चित,
मंजिल है तुम्हारी निश्चित,
बस राह न खोने देना |
मन हार न माने जब तक,
मन हार न माने जब तक,
है आस विजय की तब तक,
जब प्रेम प्रबल हो जाता,
जब प्रेम प्रबल हो जाता,
कब रोके कौन विधाता ?
सौ आस जो टूटे दिल के,
फिर स्वप्न संजोने देना,
हाँ ख्वाब है होते पूरे,
हाँ ख्वाब है होते पूरे,
ये विश्वास न खोने देना |
जितना पतझड़ है सत्य, वसंत भी उतनी ही सच्चाई है,
जवाब देंहटाएं.........इस एक पंक्ति के माध्यम से तुमने विश्वास का
मार्ग प्रशस्त किया है,
तुम्हारी लेखन क्षमता अद्भुत है....
"जितना पतझड़ है सत्य, वसंत भी उतनी ही सच्चाई है,
जवाब देंहटाएंदो दिवस के मध्य में ही हरदम, एक रात घनी आयी है"
बेहतरीन आशावादी रचना है..
मन हार न माने जब तक, है आश विजय की तब तक,
जवाब देंहटाएंजब प्रेम प्रबल हो जाता, तब रोके कौन विधाता
सौ आश जो टूटे दिल के, फिर स्वप्न संजोने देना,
हां ख्वाब है होते पूरे, ये विश्वास न खोने देना
bahut sundar likha hai ..
विश्वास न खोने देना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है
जितना पतझड़ है सत्य, वसंत भी उतनी ही सच्चाई है,
जवाब देंहटाएं....
bilkul sahi kaha aap ne....
vishwas hi to jeevan dor hai...jo har pal humey sambhale rahti hai...
बेहद खूबसूरत आशावादी कविता है आपकी...जीवन में आशावादी होना एक बहुत अच्छा गुण है. इश्वर आपके इस विश्वास को बनाये रखे...
जवाब देंहटाएंनीलिमा