जो आत्मतत्व को
जान गए,
कब भव सागर में
खोते है ?
परवाह न जग की
परवाह न जग की
करते है,
बेपरवाह
बेपरवाह
शहंशाह होते है |
जग,
जग के
पीछे भाग रहा,
वो निज में,
ध्यान लगाते है,
जग,
जीत-जीत कर
हार रहा,
वो,
हार के
जीते जाते है |
बेपरवाह,
जहां से,
भले दिखें,
परवाह,
उसी की करते है,
जग,
निज में खोया रहता है,
वो जग में,
खोये रहते है |
जग,
जग के
पीछे भाग रहा,
वो निज में,
ध्यान लगाते है,
जग,
जीत-जीत कर
हार रहा,
वो,
हार के
जीते जाते है |
जग ने,
देखे सम्राट घणै,
जो समय चक्र से,
धूल बने,
ये बने,
तो फिर,
ना मिट पाए,
ख़म ठोक,
हिमपति तुल्य जमे |
जहां से,
भले दिखें,
परवाह,
उसी की करते है,
जग,
निज में खोया रहता है,
वो जग में,
खोये रहते है |
आपकी कविता पढ कर दिन बन गया ।
जवाब देंहटाएंजग,
जवाब देंहटाएंनिज में,
खोया रहता है,
वो जग में,
खोये रहते है |
...................
बहुत खूब बंधू...
शुभकामनायें..
kafi antraal ke baad shahanshahi andaj ki hi pratiksha thi, bahut badhiyaa
जवाब देंहटाएंsach me shahanshah............:)
जवाब देंहटाएंjinhone waqt ko jeet liya........bahut khubsurat!!
kabhi yahan bhi dekhen
mere jindagi ka canvess!!
jindagikeerahen.blogspot.com
जय श्री कृष्ण ......मैं ही मैं बस??? .अहम् परमात्मा से मिलन में सबे बड़ा अवरोध हैं....जिस दिन हमने मैं से पीछा छुड़ा लिया हम उस से एकाकार हो जायेंगे...पर ये काम आसान होते हुए भी ना जाने क्यों हम कर नहीं पाते.... मैं ने क्या क्या नहीं करवाया.....भाई भाई आपस में लड़ते हैं अगर....आज हर कहीं हिंसा का माहोल हैं तो उसका सबसे बड़ा कारण ये मैं ही तो हैं....|
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