हों जैसे वैसे दिखें,
चुनें, गुणें अनुराग,
कानन को सुख देत हैं,
भ्रमित न हो तू जाग |
हों प्रकृत अनुरूप ही,
यह है पशु का भाग,
नर के ही सामर्थ्य है,
आत्म चयन, निज राग |
सोच, ख़ालिस अनुराग ही,
नहीं स्वयं में पूर्ण,
सही-गलत के भेद से,
मुक्त चेतना चूर्ण |
सो दिखना,
जो हो उचित,
द्वय अंतर और बाह,
पथिक,
हटो भटकाव से,
चुनों सही जो
राह |
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