एकता, विश्वास और आत्त्मियता की ?
हैं कौन वो,
हैं कौन वो,
जो बो रहे हैं शूल,
राष्ट्र के सीने में, क्षेत्रीयता की ?
जनतंत्र का यह गर्व भारत,
जनतंत्र का यह गर्व भारत,
सदियों से बैरी रहा
जिसका जमाना
हैं शान से कहते रहे हम,
हैं शान से कहते रहे हम,
कुछ बात है हममे,
जो मिटता है नहीं ये आशियाना,
क्या बात है हममें,
क्या बात है हममें,
सिवाए एकता, विश्वास
और अत्त्मियता के ?
क्या बात है हममें,
क्या बात है हममें,
सिवाए संस्कृति, सिद्धांत
और राष्ट्रीयता के ?
है विश्वास अपना
है विश्वास अपना
की अतिथि देव होते है,
है विश्वास अपना,
की परहित धर्मं होता है,
है विश्वास आपना
है विश्वास आपना
की एकता में शक्ति होती है,
है विश्वास आपना की
सर्वधर्म सम्मान ही सच्ची भक्ति होती है |
यह विश्वास ही तो है,
जिसके सामने
दिग्गजों के भी
मनोबल टूट जाते है,
यह शक्ति ही तो है,
यह शक्ति ही तो है,
जिसके सामने
शत्रु हार जाते है,
दुश्मनों के पसीने छुट जाते है |
फिर कौन हैं वो,
फिर कौन हैं वो,
जो सदियों से संचित
इस शक्ति को,
नष्ट करने पर तुले है ?
फिर कौन है वो
फिर कौन है वो
जो भटक गए है,
मंजिल की राह भूले है ?
क्या हम चुपचाप बैठे देखते रहेंगे,
उनकी गुस्ताखियों को
या बढेंगे कुछ हाथ,
या बढेंगे कुछ हाथ,
उनको रोकने को,
समझाने को,
राह दिखने को |
कहीं देर ना हो जाए
कहीं देर ना हो जाए
की राही भटक जाएं,
रास्ता दिखाना शेष ना रहे,
कहीं देर ना हो जाए
कहीं देर ना हो जाए
की मंजिल खो जाए,
फिर शायद इस राष्ट्र को
बचाना शेष ना रहे |