मेरी कविताएँ
शुक्रवार, 5 नवंबर 2010
दीपावली
आज
दीप का पर्व,
ज्योति,
हरे
अंतर-तम को |
दुःख,
दर्द,
क्लेश
मिटे जग से,
सुख - शांति,
भरे
अंतरतम को |
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