मुखमंडल पर है तेज प्रबल,
मुस्कान सौम्य, शीतल, निश्छल,
नवयौवन का श्रृंगार लिए,
जीवन-रस पूर्ण सी काया हो,
तुम सत्य हो या कोई माया हो।
चित्तचोर नयन, मोहनी वसन,
आभा ऐसी, मानो मधुवन,
तरुणाई का मादक्य लिए,
रति की बिंबित सी छाया हो,
तुम सत्य हो या कोई माया हो।
सुमनों की संतति रस्क करें,
अधरों मे वो कोमलता है,
स्वर्णों की कांति लजा जाएं,
तेरा तन इस भाँति दमकता है,
चेतन को जड़ करने वाली,
लावण्य की एक सरमाया हो,
तुम सत्य हो या कोई माया हो।
जिस कूची से तुम गढ़ी गई,
जो भी हैं तुम्हारा सृजनहार,
साकार तुम्हे करने हेतु,
उनको है हमारा नमस्कार 😊