
रिश्तों के
रखाव में
सहजता का
अभाव क्यों ?
अगाध
प्रेम था
राधा-कृष्ण
में,
सांसारिक
बन्धनों
से परे |
नैसर्गिक
प्रेम
बलवती
होता
गया,
हर क्षण,
लेकिन
अबधित
रही
उनकी
सांसारिक
कर्तव्यों
के प्रति
निष्ठा |
परन्तु
आज
इस रास्ते पर,
परिलक्षित
होता
भटकाव क्यों ?
रिश्तों के
रखाव में
सहजता का
अभाव क्यों ?
(नायेदा जी की काव्य श्रंखला से प्रभावित)