
रिश्तों के
रखाव में
सहजता का
अभाव क्यों ?
अटूट
रहा
एक - दूजे
के प्रति
राम-सीता
का
प्रेम,
विश्वास,
समर्पण |
वक़्त की
आंधियाँ
हारती
गयी,
निखारती
गयी,
उनके
चिर-स्थाई
व्यवहार
को,
वनवास,
हरण,
त्याग
की
कसौटियों
पर
कस - कस
कर,
परन्तु
आज
इन रिश्तों में,
अल्प मुद्दों
पर ही,
उमड़ पड़ता
बिखराव क्यों ?
रिश्तों के
रखाव में
सहजता का
अभाव क्यों ?
(नायेदा जी की काव्य श्रंखला से प्रभावित)