रविवार, 25 अप्रैल 2010

बेपरवाह शहंशाह



जो,
आत्मतत्व,
को जान गए,
कब,
भव सागर,
में खोते है ?,
परवाह,
न जग की,
करते है,
बेपरवाह,
शहंशाह होते है |

जग,
जग के,
पीछे भाग रहा,
वो,
निज में,
ध्यान लगाते है,
जग,
जीत - जीत कर,
हार रहा,
वो,
हार के,
जीते जाते है |

जग ने,
देखे सम्राट घनै,
कुछ मिटे,
तभी,
कुछ नए बने,
ये बने,
तो फिर,
ना मिट पाए,
गर,
और बने,
तो भले बने |

बेपरवाह,
जहां से,
भले दिखें,
परवाह,
उसी की,
करते है,
जग,
निज में,
खोया रहता है,
वो जग में,
खोये रहते है |