उत्थान नहीं कर पाता है,
हर लक्ष्य असंभव दिखता है,
हर लक्ष्य असंभव दिखता है,
जब स्वाभिमान मर जाता है |
स्वाभिमान है तेज पुंज,
यदि कठिनाई है अन्धकार,
यह औषधि है उन रोगों की,
यह औषधि है उन रोगों की,
विकल भाव जिनका विकार |
यह शक्ति है जो है पकड़ती,
यह शक्ति है जो है पकड़ती,
छुटते धीरज के तार,
यह दृष्टि है जो है दिखाती,
यह दृष्टि है जो है दिखाती,
नित नए मंजिल के द्वार |
यह आन है, यह शान है,
यह आन है, यह शान है,
यह ज्ञान है, भगवान है,
कुछ कर गुजरने की ज्योति है,
कुछ कर गुजरने की ज्योति है,
हर चोटी का सोपान है |
हाँ सर उठाकर जिंदगी,
हाँ सर उठाकर जिंदगी,
जीना ही स्वाभिमान है,
गर मांग हो प्याले जहर,
गर मांग हो प्याले जहर,
पीना ही स्वाभिमान है |
यह है तो इस ब्रह्माण्ड में,
यह है तो इस ब्रह्माण्ड में,
नर की अलग पहचान है,
जो यह नहीं, नर - नर नहीं,
जो यह नहीं, नर - नर नहीं,
पशु है, मृतक समान है |
सच है,स्वाभिमान के बिना जीवन का अर्थ नहीं,
जवाब देंहटाएंऔर जब ल्लाक्ष्य को पाना है....तो खुद को मृत नहीं बनाना है,
खुद्दारी के साथ ज़ंग हो तो बात ही कुछ और होती है-यह सच है.......
गर पाना हैं लक्ष्य तो स्वाभिमान की बुनियाद ज़रूरी हैं......
जवाब देंहटाएंसही कहा और प्रभावशाली ढंग से कहा.....