मंगलवार, 2 सितंबर 2008

गो रक्षण

थकते न हम जिस हिंद का,
करते हुए गुणगान है,
कहते हमारी सभ्यता, जग श्रेष्ट है, महान है,
पर पालती निज रक्त जो, रखते न उसका मान है,
हर चौक पर है गो बलि, किस राष्ट्र का अभिमान है ?

हम जगे,
हमने दिखाया विश्व को रौशन जहाँ
पालनेवाली यशोदा, कब माँ कही जाती कहाँ ?
गो को भी हमने था दिया, जननी का दर्जा ही यहाँ
अफ़सोस अब है खो गए, जज्वात वो जाने कहाँ

आलम ये है,
अब राष्ट्र का, छूटा न कोई प्रान्त है
जहा गो बलि चढ़ती नहीं, धिक्कार है हम शांत है
बध के लिए खूटे बंधी, वो मूक हमको निहारती
पीडा के अश्रु झरे नयन, मृत्यु निकट वह ताड़ती

है सोचती,
पाला जिसे अमृत पिला,
वे आज मुझ सम विषनिवाले धर चले,
जीवन के एक - एक मोड पर जिनको संभाला,
हाय, आज मुझको यम् हवाले कर चले
सर्वश्व नेयोछाबर किया, जीभर लुटाई सम्पदा
क्या था नहीं अधिकार मेरा, निर्भय जियू जग में सदा ?

उपकार उनका है बहुत इस देह पर,
हक़ है बड़ा उनका हमारे नेह पर
अधिकार उनको यह मिले, अब यत्न मिलकर हम करे
यह धर्मं की निरपेक्षता का ढोंग,
भला, वो निरीह क्यु सहते रहे

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही विषय उचित प्रसंगों के साथ लोगों के समक्ष
    रखा है, गाय को माँ का दर्जा दिया जाता है,और माँ की हत्या,
    राष्ट्र की हत्या है ,कहते भी तो हम 'भारत माँ' ही हैं.....
    बहुत सही ढंग से अपने विचारों को रखा है तुमने

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  2. गो-रक्षा के पारम्परिक कारणो को आधुनिक सन्दर्भ मे युवा वर्ग को सम्झाने मे हमारे धार्मिक प्रकल्प असमर्थ रहे है । गो-रक्षा एक धार्मिक आस्था का प्रश्न तो है हीं, इसके अलावा इसके कई सामाजिक, आर्थिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं । इन विषयो को उचित ढंग से उठाने की जरुरत है ।

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  3. सबसे उपयुक्त विषय के आपने हम सब के सामने रखा है गो रक्षण का लेकिन इसी ही कोशिश लोगो को जागरूक कर सकती है वरना वो भूल गए गाय को माँ भी कहा जाता है उसे पूजा जाता है...

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  4. बहुत बढिया,इसे कहते है विचारशील रचना,
    ऐसे ज्वलंत प्रश्नों को लेकर लिखना अच्छी बात है
    मेरा आशीर्वाद लो

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  5. kumar ji gaay ki bali ko roka jana hi chahiye
    gaay hamari maa ke samaan hai
    jo apne bachhe ko dhoodh ne dekar hum sabka poshan karti hai

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  6. मैंने मरने के लिए रिश्वत ली है ,मरने के लिए घूस ली है ????
    ๑۩۞۩๑वन्दना
    शब्दों की๑۩۞۩๑

    आप पढना और ये बात लोगो तक पहुंचानी जरुरी है ,,,,,
    उन सैनिकों के साहस के लिए बलिदान और समर्पण के लिए देश की हमारी रक्षा के लिए जो बिना किसी स्वार्थ से बिना मतलब के हमारे लिए जान तक दे देते हैं
    अक्षय-मन

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