रविवार, 24 मार्च 2024

डरते नही हैं हम ....


 

उतरें हैं समंदर में,
तो हौसला भी रखते है,
लहरों की आवाजाही से
डरते नहीं हैं हम।

शाहिल पे थमकर
बहुत दिन गुजारा,
सहारे की आदत
न छूटा किनारा,
बहुत सीप बीने
है मोती को पाना,
है गहरे समंदर में
गोते लगाना,
अब ठहरे के भ्रम में
पड़ते नही हैं हम,
लहरों की आवाजाही से
डरते नही हैं हम।

डूब जाऊ या उबरू
मिटूं या के निखरूं,
लहर में समाऊँ
या उसे चीर जाऊ,
नही कोई धारा
जो पग मेरा रोके,
डिगा ना सकेंगे
हवाओं के झोंके,
अब विपत्ति के भय से
खुद को भरते नही है हम,
लहरों की आवाजाही से
डरते नही हैं हम।

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