रविवार, 24 मार्च 2024

सारा जीवन ही होली है।


 

त्योहार तो केवल है प्रतीक,
अगिनत रंगो की झोली है,
भेद, बिभेद से एकीकृत
सारा जीवन ही होली है।

यहाँ तो है उत्साह- निराशा,
हर्ष-विषाद घिरी प्रत्याशा,
प्रीति-अप्रीति, स्नेह-घॄणा संग,
बनती-मिटती ढ़ेरों अभिलाषा,
मित्र-शत्रु, अपने-पराए से,
सजी हुई रंगोली है,
भेद-बिभेद से एकीकृत
सारा जीवन ही होली है।

यहाँ खोज आनंद की है,
पर साथ वेदना चलती है,
यहाँ मिलन पोसे जाते,
संग-संग बिछड़न भी पलती है,
उँचा-नीचा, सम-विषम है पथ,
चलती लोगों की टोली है,
भेद, बिभेद से एकीकृत
सारा जीवन ही होली है।

जैसे सब रंग मिल करके,
मनभावन छवि बनाते है,
रंगने और रंगे जाने वाले,
दोनो सुख पाते है,
वैसे हीं दातार-जीव की,
यह अनुपम हमजोली है,
भेद, बिभेद से एकीकृत
सारा जीवन ही होली है।

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